Sunday, March 4, 2018

District Deoria..My Hometown

#HistoryDistrictDeoriaUP #MyHomeTown जब से होश सम्भाला तब से यही सुनता आया कि हम लोग देवों की नगरी देवरिया में रहते है। वही देवरिया जिसे देवों की नगरी माना जाता है। जहां के देवरहा बाबा पूरे देश में मशहूर हैं । पर जैसे जैसे बड़ा हुआ ये उत्सुकता बढ़ने लगा कि कहाँ है देव? किधर रहते होंगे ? कुछ उनके अवशेष भी रहे होंगे। कुछ तो उनके अस्तित्व होंगे जो इस जगह को देवरिया बनाता है।
देवरिया भारत के उत्तर प्रदेश प्रांत का एक जिला जो गोरखपुर से करीब 50 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में बिहार प्रान्त  से सटा हुआ है। जिज्ञासा को शांत करने के लिए जो इतिहास को खंगाला तब यह पता चला कि यहां कभी बहुत घने वन हुआ करते थे और इन्ही वनों में देवताओं का वास होता था। नाम दिया गया देवारण्य अर्थात जहां देवता भी रहते हो। अत्यंत प्राचीन में जाए तो, देवरिया में अयोध्या के राजा श्री राम के पुत्र कुश ने अपना साम्राज्य बसाया और उस जगह का नाम पड़ा कुशावत (कुशीनगर ) जो कि अब देवरिया से पृथक होकर कुशीनगर जनपद हो गया है। पुरातत्व विभाग की माने तो कौशल राज का यह एक भाग था।  स्वतंत्रता संग्राम में भी देवरिया पीछे नहीं रहा है,तरकुलवा के शहीद रामचंद्र इंटरमीडिएट कॉलेज का कक्षा 8 का छात्र रामचंद्र देवरिया में तिरंगा को लहराकर शहीद रामचंद्र हो गया।
देवरिया लगभग 25 27. 2 किलोमीटर में फैला हुआ है। कृषि से भरपूर जिले में कभी पूरे भारत की सबसे ज्यादा चीनी मिलें थी।घाघरा ,राप्ती और गण्डक नदियों में भरपूर पानी के कारण इस जिले की मिटटी बहुत ही उपजाऊ है। देवरिया में हर 10 कदम पर आपको मंदिर और हर आधे किलोमीटर भी मस्जिद मिलेंगे। देवरिया का इतिहास रहा है कि  इस जिले की लोग शांतिप्रिय है। पर्यटन की दृष्टि से देखिए तो रुद्रपुर में प्राचीन शिवलिंग जो बाबा दूधेश्वर नाथ के नाम से ग्रंथ में वर्णित है।इतिहास बताता है कि रुद्रपुर में रुद्र सिंह नाम के राजा का किला था और इन्ही के नाम पर रुद्रपुर स्थान का नाम पड़ा। सावन के महीने में दूर दूर से भक्त शिव लिंग पर जल चढ़ाने आते हैं।ग्रामीण अंचल  होते हुए भी शिक्षा के क्षेत्र में यह स्थान बहुत आगे है। परवल की मिठाई यहां की विशेषता है। प्रशासन की उपेक्षा और जन जागरुकता की कमी के कारण इस जगह को वह महत्व नहीं मिल पाया जितना मिलना चाहिए।
सरयू नदी के तट पर बसा बरहज स्वयं में धार्मिक महत्व लिए हुए हैं। कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। जब यातायात के साधन नहीं था तो सरयू नदी जल मार्ग का प्रसिद्ध रास्ता था। दूर दूर से लोग यहां बाजार करने आते थे।
बरहज बाजार सब्जियों और गर्मी के फलो के लिए प्रसिद्ध है। तरबूज, खरबूज, खीरा और ककड़ी यहां से दूर दूर तक निर्यात होते है। मुख्यालय देवरिया से बरहज और रूद्रपुर जाने के लिए केवल सड़क मार्ग है। रेल मार्ग से रूद्रपुर अभी तक नहीं जुड़ पाया है। सलेमपुर से होकर रेल मार्ग से बरहज जाया जा सकता है । सलेंमपुर (देवरिया के दक्षिण) में मझौली राज का महल है।यह भी एक तरह की उपेक्षा का शिकार है कोई उत्तराधिकारी ना होने के कारण यह महल जीर्ण अवस्था में हैजीर्ण। लोग कहते हैं कि मझौली राज में मच्छर नहीं काटते है। देवरिया के नोनापार गावँ का की ख्याति दूर दूर तक फैली हुई है। बाबा मणिनाथ के समाधि स्थल पर लोग दूर दूर से माथा टेकने आते है। इस गाँव के लोग उच्च शिक्षा में झंडे गाड़ते है। कई प्रशासनिक अधिकारी और प्रोफेसर इस गांव से निकले है।
बिहार की सीमा से सटे  स्थान है रतसिया। पुरानी कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि राम और सीता जी ने वनवास  जाते हुए एक रात यहां विश्राम किया जिस कारण इस स्थान का नाम रतसिया पड़ा । देवरिया मुख्यालय से ही 30 किलोमीटर पूर्व में भटनी ब्लाक है। बिहार को जोड़ने वाला रेलमार्ग का जंक्शन है। भटनी से 6 किमी की दुरी पर बनकटा शिव जो कि गण्डक नदी के किनारे है। शिव और दुर्गा माता का भव्य मन्दिर है। कथाएँ प्रचलित है कि इसके समीप तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। हालांकि ये अंधविश्वास ही है पर आपको यहां पर ऐसे लोग मिल जाएंगे जो भूत प्रेत छुड़ाने के लिए यहां आते है। भाटपार में मदन मोहन पी जी कालेज है जिसमे आपको बी एच यू की झलक दिखेगी।
मझौली राज के पास दीर्घेश्वर नाथ का मंदिर ।
देवरिया शहर में 4 मुख्य मन्दिर है देवरही (दुर्गा जी),सोमनाथ(शिव जी), हनुमान मन्दिर और बालाजी का मन्दिर। बाला जी का मन्दिर दक्षिण राज्यो की शैली में बना है। इसके अलावा गायत्री मन्दिर, श्याम मन्दिर ,शिव मन्दिर, दुर्गा मन्दिर, काली मन्दिर जैसे छोटे छोटे तमाम मन्दिर है। शहर में बीचो बीच एक स्थान है जहाँ देवरिया का मुख्य बाजार है। नाम है छः मुखी चौराहा। छः रास्ते निकलते है यहां से लेकिन नाम है चौराहा। एक जामा मस्जिद एक गुरुद्वारा और 4 चर्च तथा हर मोहल्ले में छोटे छोटे मस्जिद है। कई महाविद्यालयो और स्वतन्त्रता के पहले का स्थापित एक राजकीय इण्टर कालेज के साथ कई इंटरमीडिएट कालेज है।शहर में दो ओवर ब्रिज है जो एक गोरखपुर और दूसरा कुशीनगर को जोड़ता है। देवरिया की दही एक अनूठे स्वाद के साथ प्रसिद्ध है। पेड़ा गली पेड़ा दूर दूर तक प्रसिद्ध है।

कभी आये देवरिया- क्योंकि अपने में व्यस्त और मस्त रहने वाला शहर है।

आभार : डॉ. भावना सिन्हा जी , प्रवक्ता राजनीति विज्ञान विभाग, बी आर डी पी जी कालेज देवरिया। जिला गाइड कमिश्नर आजीवन सदस्य – नागरी प्रचारणी सभा देवरिया एवं विज्ञान भारती ।

Thursday, May 30, 2013

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31/05/2013
1- धूम्रपान (smoking) करते समय आप निकोटिन, पायरिडीन, अमोनिया, कार्बन मोनो ऑक्साइड, फ्यूरल, फर्माल्डिहाइड, एसीटोन, आर्सेनिक एसिड जैसे 4800 घातक रसायनों (lethal chemicals) को अपने फेफड़ों और खून मे भरते हैं जिनमें से 69 (International Agency For Research On Cancer के अनुसार 43) कैंसर के लिए सीधे उत्तरदायी हैं।2- एक सिगरेट से आप 100 mg निकोटिन शरीर में भरते हैं, 500 mg एकसाथ इंजेक्शन से ले लें तो तुरन्त मृत्यु निश्चित है।
3- एक सिगरेट में पाया जाने वाला 30-40 mg “टार” कैंसर का सीधा पिता होता है।
4- धूम्रपान करने वाले 61% पुरुषों व 62% महिलाएं 30-69 वर्ष की आयु के बींच किसी भी समय मृत्यु के मुंह मे समा सकते हैं।
5- धूम्रपान से भारत में प्रति मिनट लगभग 2 लोग मौत के मुंह मे समा जाते हैं।
6- भारत में कुल बीमारियों की 40% तम्बाकू धूम्रपान से होती हैं।
7- अमेरिका में धूम्रपान से प्रतिवर्ष 4,4000 लोग मरते हैं।
8- पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से 60 लाख लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरते हैं।
9- WHO के अनुसार अप्रत्यक्ष धूम्रपान से प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या 6,00,000 है।
10- धूम्रपान ब्लडप्रैशर, हार्ट अटैक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, एस्फ़ीसीमा, अलसर, टोबैको एम्ब्लीयोपिया (अंधापन), लीवर सिरोसिस आदि पचासों दर्दनाक बीमारियों के लिए सीधे प्रवेशद्वार है।
11- तम्बाकू जनित बीमारियों के इलाज में भारत में प्रतिवर्ष 30,800 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं जबकि भारत का 2012 का स्वास्थ्य बजट 34,488 करोड़ रुपए रहा, 2011 में यह केवल 30,456 करोड़ ही था।
12- अमेरिका में धूम्रपान से पैदा होने वाली बीमारियों पर कुल $150billion अर्थात 8,40,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, यदि अमेरीकन बनने की कोशिश में लगे आज के युवा यह बराबरी कर लेते हैं तो देश वर्तमान बजट का कुल 59% धुएँ पर खर्च करना होगा जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर बजट का 11-12% ही (2011-12 में अधिकतम लगभग 12.97%) दिया जा पाता है|
13- अमेरिका के कम से कम 20% किशोर धूम्रपान के शिकार हैं और ऐसे ही 3000 बच्चे रोज सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं।
14- भारत में इन नशों के लती 50% किशोर इनके परिणाम स्वरूप होने वाली कैंसर जैसी बीमारियों से मरेंगे।
15- एक सर्वेक्षण के अनुसार अभी भारत में 15 से 18 वर्ष की आयु के 15% बच्चे तम्बाकू/धूम्रपान के फंदे में फंस चुके हैं।
16- सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अनुसार भारत में वर्ष 2011-12 में 116.166 अरब (billion) सिगरेट बेंची गईं। अर्थात भारत के प्रति व्यक्ति को 96 सिगरेट खफ़त की जा रही हैं। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार 4.19% अधिक उत्पादन हुआ।
17- मैंने गणना की तो पाया कि 38 करोड़ 72 लाख 20 हजार वृक्षों को केवल 2011-12 में ही सिगरेट पिलाने के लिए काटा गया।
18- विभिन्न मूल्यों पर उपलब्ध मंहगी सस्ती सिगरेट का औसत मूल्य यदि 3 रुपए माना जाए तो लगभग 348 अरब रुपये गत वर्ष धुएँ में उड़ा दिये गए जोकि इसी वर्ष भारत के कुल बजट से लगभग दोगुना है।
यह आंकड़ें एक बानगी मात्र हैं क्योंकि यदि एक पेड़ की कीमत, एक पेड़ से होने वाली वातावरणिक क्षति का आंकलन करें, फिर तदनुसार 387220000 पेड़ काटने के परिणाम का आंकलन करें, इससे होने वाले वातावरणिक परिवर्तन तथा प्रति व्यक्ति क्षति निकालें तो ये आंकड़ें बहुत आगे पहुँच जाएंगे। तम्बाकू-धूम्रपान आपके व्यक्तिगत जीवन को ही नहीं वरन पूरे देश, पूरी पृथ्वी व प्रत्येक मनुष्य को मौत के मुंह में धकेल रहे है। आपको सिगरेट पिलाने के लिए सरकार भले ही कंपनियों को निमंत्रण देती है किन्तु तम्बाकू दिवस पर तम्बाकू/सिगरेट की बुराई में करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च करने पड़ते हैं। यह बड़ी विडम्बना के साथ साथ धूम्रपान के कारण देश का एक अतिरिक्त खर्च है। यह विडम्बना मौत के इस भारी भरकम व्यापार में छिपी है जिसकी ताकत केवल सरकारों को ही नहीं वरन विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था WHO को भी इस मामले पर ठोस कदम उठाने से रोक देती है। मार्च में WHO द्वारा कंपनियों के दबाब में एल्कोहौल उपभोग में 2025 तक 10% कमी के अपने लक्ष्य को अपनी प्रस्तावना सूची से हटा लिया।
इसी जानकारी के साथ मैं सभी धूम्रपान करने वाले बंधुओं को तम्बाकू दिवस (मुक्ति) दिवस की हार्दिक शुभकामनायें कि आप इस भयावह मृत्युपाश से मुक्त हो सकें। यदि आप में से कोई भी इस दुर्व्यसन से ग्रस्त है और इस लेख को पढ़कर इस व्यसन त्याग का साहस करने में सफल होता है तो कृपया प्रतिक्रिया में सूचित करें, तभी इस लेख की सार्थकता होगी।
— विमलेश निगम