Thursday, May 30, 2013

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस

विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31/05/2013
1- धूम्रपान (smoking) करते समय आप निकोटिन, पायरिडीन, अमोनिया, कार्बन मोनो ऑक्साइड, फ्यूरल, फर्माल्डिहाइड, एसीटोन, आर्सेनिक एसिड जैसे 4800 घातक रसायनों (lethal chemicals) को अपने फेफड़ों और खून मे भरते हैं जिनमें से 69 (International Agency For Research On Cancer के अनुसार 43) कैंसर के लिए सीधे उत्तरदायी हैं।2- एक सिगरेट से आप 100 mg निकोटिन शरीर में भरते हैं, 500 mg एकसाथ इंजेक्शन से ले लें तो तुरन्त मृत्यु निश्चित है।
3- एक सिगरेट में पाया जाने वाला 30-40 mg “टार” कैंसर का सीधा पिता होता है।
4- धूम्रपान करने वाले 61% पुरुषों व 62% महिलाएं 30-69 वर्ष की आयु के बींच किसी भी समय मृत्यु के मुंह मे समा सकते हैं।
5- धूम्रपान से भारत में प्रति मिनट लगभग 2 लोग मौत के मुंह मे समा जाते हैं।
6- भारत में कुल बीमारियों की 40% तम्बाकू धूम्रपान से होती हैं।
7- अमेरिका में धूम्रपान से प्रतिवर्ष 4,4000 लोग मरते हैं।
8- पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से 60 लाख लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरते हैं।
9- WHO के अनुसार अप्रत्यक्ष धूम्रपान से प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या 6,00,000 है।
10- धूम्रपान ब्लडप्रैशर, हार्ट अटैक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, एस्फ़ीसीमा, अलसर, टोबैको एम्ब्लीयोपिया (अंधापन), लीवर सिरोसिस आदि पचासों दर्दनाक बीमारियों के लिए सीधे प्रवेशद्वार है।
11- तम्बाकू जनित बीमारियों के इलाज में भारत में प्रतिवर्ष 30,800 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं जबकि भारत का 2012 का स्वास्थ्य बजट 34,488 करोड़ रुपए रहा, 2011 में यह केवल 30,456 करोड़ ही था।
12- अमेरिका में धूम्रपान से पैदा होने वाली बीमारियों पर कुल $150billion अर्थात 8,40,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, यदि अमेरीकन बनने की कोशिश में लगे आज के युवा यह बराबरी कर लेते हैं तो देश वर्तमान बजट का कुल 59% धुएँ पर खर्च करना होगा जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर बजट का 11-12% ही (2011-12 में अधिकतम लगभग 12.97%) दिया जा पाता है|
13- अमेरिका के कम से कम 20% किशोर धूम्रपान के शिकार हैं और ऐसे ही 3000 बच्चे रोज सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं।
14- भारत में इन नशों के लती 50% किशोर इनके परिणाम स्वरूप होने वाली कैंसर जैसी बीमारियों से मरेंगे।
15- एक सर्वेक्षण के अनुसार अभी भारत में 15 से 18 वर्ष की आयु के 15% बच्चे तम्बाकू/धूम्रपान के फंदे में फंस चुके हैं।
16- सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अनुसार भारत में वर्ष 2011-12 में 116.166 अरब (billion) सिगरेट बेंची गईं। अर्थात भारत के प्रति व्यक्ति को 96 सिगरेट खफ़त की जा रही हैं। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार 4.19% अधिक उत्पादन हुआ।
17- मैंने गणना की तो पाया कि 38 करोड़ 72 लाख 20 हजार वृक्षों को केवल 2011-12 में ही सिगरेट पिलाने के लिए काटा गया।
18- विभिन्न मूल्यों पर उपलब्ध मंहगी सस्ती सिगरेट का औसत मूल्य यदि 3 रुपए माना जाए तो लगभग 348 अरब रुपये गत वर्ष धुएँ में उड़ा दिये गए जोकि इसी वर्ष भारत के कुल बजट से लगभग दोगुना है।
यह आंकड़ें एक बानगी मात्र हैं क्योंकि यदि एक पेड़ की कीमत, एक पेड़ से होने वाली वातावरणिक क्षति का आंकलन करें, फिर तदनुसार 387220000 पेड़ काटने के परिणाम का आंकलन करें, इससे होने वाले वातावरणिक परिवर्तन तथा प्रति व्यक्ति क्षति निकालें तो ये आंकड़ें बहुत आगे पहुँच जाएंगे। तम्बाकू-धूम्रपान आपके व्यक्तिगत जीवन को ही नहीं वरन पूरे देश, पूरी पृथ्वी व प्रत्येक मनुष्य को मौत के मुंह में धकेल रहे है। आपको सिगरेट पिलाने के लिए सरकार भले ही कंपनियों को निमंत्रण देती है किन्तु तम्बाकू दिवस पर तम्बाकू/सिगरेट की बुराई में करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च करने पड़ते हैं। यह बड़ी विडम्बना के साथ साथ धूम्रपान के कारण देश का एक अतिरिक्त खर्च है। यह विडम्बना मौत के इस भारी भरकम व्यापार में छिपी है जिसकी ताकत केवल सरकारों को ही नहीं वरन विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था WHO को भी इस मामले पर ठोस कदम उठाने से रोक देती है। मार्च में WHO द्वारा कंपनियों के दबाब में एल्कोहौल उपभोग में 2025 तक 10% कमी के अपने लक्ष्य को अपनी प्रस्तावना सूची से हटा लिया।
इसी जानकारी के साथ मैं सभी धूम्रपान करने वाले बंधुओं को तम्बाकू दिवस (मुक्ति) दिवस की हार्दिक शुभकामनायें कि आप इस भयावह मृत्युपाश से मुक्त हो सकें। यदि आप में से कोई भी इस दुर्व्यसन से ग्रस्त है और इस लेख को पढ़कर इस व्यसन त्याग का साहस करने में सफल होता है तो कृपया प्रतिक्रिया में सूचित करें, तभी इस लेख की सार्थकता होगी।
— विमलेश निगम

Monday, May 20, 2013

Go Green Save Earth प्रकृति बचाए ,भविष्य सवारे


Go Green Save Earth प्रकृति बचाए ,भविष्य सवारेजिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पानमे डाल कर खा जाते हैं )क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम काहोना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिकमात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे|इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|
आयुर्वेदिक इलाज !______________पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसकेपत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरीपथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!

होमियोपेथी इलाज !______________
अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान परमिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHERTINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतनाहै ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERISVULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मेमिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिकसे अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना हैकभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो याफिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभीस्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी होसकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बादसोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रहगया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइडइफेक्ट नहीं है |
____________________ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसकेलिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूटके निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंदसीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्यमे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा..

-विमलेश निगम