Friday, March 1, 2013

"प्यारे पौधे"

एक बीज था गया बहुत ही गहराई में बोया

उसी बीज के अंतर में था नन्हा पौधा सोया

उस पौधे को मंद पवन ने आकर पास जगाया

नन्ही नन्ही बूंदों ने फिर उस पर जल बरसाया

सूरज बोला "प्यारे पौधे", निद्रा दूर भगाओ

अलसाई आँखें खोलो तुम उठकर बहार आओ

आँख खोल कर नन्हे पौधे ने तब ली अंगड़ाई

एक अनोखी नयी शक्ति सी उसके मन में आई

नींद छोड़ आलस्य त्याग कर पौधा बाहर आया

बहार का संसार बड़ा ही अद्भुत उसने पाया...


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