एक आदमी एक दिन में इतना ऑक्सीजन लेता है जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं | एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700 इस तरह हम देखते हैं कि एक आदमी एक दिन में रु.2100 (700X3) की ऑक्सीजन लेता है और 1साल में रु.766500 कि और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु. 5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़- पौधों द्वारा हमे फ्री में मिलती है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे है | SPREAD THIS MESSAGE AS MUCH AS YOU CAN. SAVE TREES ! SAVE FUTURE !
Tuesday, December 10, 2013
Thursday, June 6, 2013
Monday, June 3, 2013
Thursday, May 30, 2013
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस 31/05/2013
1- धूम्रपान (smoking) करते समय आप निकोटिन, पायरिडीन, अमोनिया, कार्बन मोनो ऑक्साइड, फ्यूरल, फर्माल्डिहाइड, एसीटोन, आर्सेनिक एसिड जैसे 4800 घातक रसायनों (lethal chemicals) को अपने फेफड़ों और खून मे भरते हैं जिनमें से 69 (International Agency For Research On Cancer के अनुसार 43) कैंसर के लिए सीधे उत्तरदायी हैं।2- एक सिगरेट से आप 100 mg निकोटिन शरीर में भरते हैं, 500 mg एकसाथ इंजेक्शन से ले लें तो तुरन्त मृत्यु निश्चित है।
3- एक सिगरेट में पाया जाने वाला 30-40 mg “टार” कैंसर का सीधा पिता होता है।
4- धूम्रपान करने वाले 61% पुरुषों व 62% महिलाएं 30-69 वर्ष की आयु के बींच किसी भी समय मृत्यु के मुंह मे समा सकते हैं।
5- धूम्रपान से भारत में प्रति मिनट लगभग 2 लोग मौत के मुंह मे समा जाते हैं।
6- भारत में कुल बीमारियों की 40% तम्बाकू धूम्रपान से होती हैं।
7- अमेरिका में धूम्रपान से प्रतिवर्ष 4,4000 लोग मरते हैं।
8- पूरे विश्व में प्रतिवर्ष 50 लाख से 60 लाख लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारियों से मरते हैं।
9- WHO के अनुसार अप्रत्यक्ष धूम्रपान से प्रतिवर्ष मरने वालों की संख्या 6,00,000 है।
10- धूम्रपान ब्लडप्रैशर, हार्ट अटैक, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, एस्फ़ीसीमा, अलसर, टोबैको एम्ब्लीयोपिया (अंधापन), लीवर सिरोसिस आदि पचासों दर्दनाक बीमारियों के लिए सीधे प्रवेशद्वार है।
11- तम्बाकू जनित बीमारियों के इलाज में भारत में प्रतिवर्ष 30,800 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते हैं जबकि भारत का 2012 का स्वास्थ्य बजट 34,488 करोड़ रुपए रहा, 2011 में यह केवल 30,456 करोड़ ही था।
12- अमेरिका में धूम्रपान से पैदा होने वाली बीमारियों पर कुल $150billion अर्थात 8,40,000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं, यदि अमेरीकन बनने की कोशिश में लगे आज के युवा यह बराबरी कर लेते हैं तो देश वर्तमान बजट का कुल 59% धुएँ पर खर्च करना होगा जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा पर बजट का 11-12% ही (2011-12 में अधिकतम लगभग 12.97%) दिया जा पाता है|
13- अमेरिका के कम से कम 20% किशोर धूम्रपान के शिकार हैं और ऐसे ही 3000 बच्चे रोज सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं।
14- भारत में इन नशों के लती 50% किशोर इनके परिणाम स्वरूप होने वाली कैंसर जैसी बीमारियों से मरेंगे।
15- एक सर्वेक्षण के अनुसार अभी भारत में 15 से 18 वर्ष की आयु के 15% बच्चे तम्बाकू/धूम्रपान के फंदे में फंस चुके हैं।
16- सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के अनुसार भारत में वर्ष 2011-12 में 116.166 अरब (billion) सिगरेट बेंची गईं। अर्थात भारत के प्रति व्यक्ति को 96 सिगरेट खफ़त की जा रही हैं। इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार 4.19% अधिक उत्पादन हुआ।
17- मैंने गणना की तो पाया कि 38 करोड़ 72 लाख 20 हजार वृक्षों को केवल 2011-12 में ही सिगरेट पिलाने के लिए काटा गया।
18- विभिन्न मूल्यों पर उपलब्ध मंहगी सस्ती सिगरेट का औसत मूल्य यदि 3 रुपए माना जाए तो लगभग 348 अरब रुपये गत वर्ष धुएँ में उड़ा दिये गए जोकि इसी वर्ष भारत के कुल बजट से लगभग दोगुना है।
यह आंकड़ें एक बानगी मात्र हैं क्योंकि यदि एक पेड़ की कीमत, एक पेड़ से होने वाली वातावरणिक क्षति का आंकलन करें, फिर तदनुसार 387220000 पेड़ काटने के परिणाम का आंकलन करें, इससे होने वाले वातावरणिक परिवर्तन तथा प्रति व्यक्ति क्षति निकालें तो ये आंकड़ें बहुत आगे पहुँच जाएंगे। तम्बाकू-धूम्रपान आपके व्यक्तिगत जीवन को ही नहीं वरन पूरे देश, पूरी पृथ्वी व प्रत्येक मनुष्य को मौत के मुंह में धकेल रहे है। आपको सिगरेट पिलाने के लिए सरकार भले ही कंपनियों को निमंत्रण देती है किन्तु तम्बाकू दिवस पर तम्बाकू/सिगरेट की बुराई में करोड़ों रुपये विज्ञापन पर खर्च करने पड़ते हैं। यह बड़ी विडम्बना के साथ साथ धूम्रपान के कारण देश का एक अतिरिक्त खर्च है। यह विडम्बना मौत के इस भारी भरकम व्यापार में छिपी है जिसकी ताकत केवल सरकारों को ही नहीं वरन विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था WHO को भी इस मामले पर ठोस कदम उठाने से रोक देती है। मार्च में WHO द्वारा कंपनियों के दबाब में एल्कोहौल उपभोग में 2025 तक 10% कमी के अपने लक्ष्य को अपनी प्रस्तावना सूची से हटा लिया।
इसी जानकारी के साथ मैं सभी धूम्रपान करने वाले बंधुओं को तम्बाकू दिवस (मुक्ति) दिवस की हार्दिक शुभकामनायें कि आप इस भयावह मृत्युपाश से मुक्त हो सकें। यदि आप में से कोई भी इस दुर्व्यसन से ग्रस्त है और इस लेख को पढ़कर इस व्यसन त्याग का साहस करने में सफल होता है तो कृपया प्रतिक्रिया में सूचित करें, तभी इस लेख की सार्थकता होगी।
— विमलेश निगम
Monday, May 20, 2013
Go Green Save Earth प्रकृति बचाए ,भविष्य सवारे
Go Green Save Earth प्रकृति बचाए ,भविष्य सवारेजिसको भी शरीर मे पथरी है वो चुना कभी ना खाएं ! (काफी लोग पानमे डाल कर खा जाते हैं )क्योंकि पथरी होने का मुख्य कारण आपके शरीर मे अधिक मात्रा मे कैलशियम काहोना है | मतलब जिनके शरीर मे पथरी हुई है उनके शरीर मे जरुरत से अधिकमात्रा मे कैलशियम है लेकिन वो शरीर मे पच नहीं रहा है वो अलग बात हे|इसलिए आप चुना खाना बंद कर दीजिए|
आयुर्वेदिक इलाज !______________पखानबेद नाम का एक पौधा होता है ! उसे पथरचट भी कुछ लोग बोलते है ! उसकेपत्तों को पानी मे उबाल कर काढ़ा बना ले ! मात्र 7 से 15 दिन मे पूरीपथरी खत्म !! और कई बार तो इससे भी जल्दी खत्म हो जाती !!!
होमियोपेथी इलाज !______________
अब होमियोपेथी मे एक दवा है ! वो आपको किसी भी होमियोपेथी के दुकान परमिलेगी उसका नाम हे BERBERIS VULGARIS ये दवा के आगे लिखना है MOTHERTINCHER ! ये उसकी पोटेंसी हे|वो दुकान वाला समझ जायेगा| यह दवा होमियोपेथी की दुकान से ले आइये|
(ये BERBERIS VULGARIS दवा भी पथरचट नाम के पोधे से बनी है बस फर्क इतनाहै ये dilutions form मे हैं पथरचट पोधे का botanical name BERBERISVULGARIS ही है )
अब इस दवा की 10-15 बूंदों को एक चौथाई (1/ 4) कप गुण गुने पानी मेमिलाकर दिन मे चार बार (सुबह,दोपहर,शाम और रात) लेना है | चार बार अधिकसे अधिक और कमसे कम तीन बार|इसको लगातार एक से डेढ़ महीने तक लेना हैकभी कभी दो महीने भी लग जाते है |
इससे जीतने भी stone है ,कही भी हो गोलब्लेडर gall bladder )मे हो याफिर किडनी मे हो,या युनिद्रा के आसपास हो,या फिर मुत्रपिंड मे हो| वो सभीस्टोन को पिगलाकर ये निकाल देता हे|
99% केस मे डेढ़ से दो महीने मे ही सब टूट कर निकाल देता हे कभी कभी होसकता हे तीन महीने भी हो सकता हे लेना पड़े|तो आप दो महिने बादसोनोग्राफी करवा लीजिए आपको पता चल जायेगा कितना टूट गया है कितना रहगया है | अगर रह गया हहै तो थोड़े दिन और ले लीजिए|यह दवा का साइडइफेक्ट नहीं है |
____________________ये तो हुआ जब stone टूट के निकल गया अब दोबारा भविष्य मे यह ना बने उसकेलिए क्या??? क्योंकि कई लोगो को बार बार पथरी होती है |एक बार stone टूटके निकल गया अब कभी दोबारा नहीं आना चाहिए इसके लिए क्या ???
इसके लिए एक और होमियोपेथी मे दवा है CHINA 1000|प्रवाही स्वरुप की इस दवा के एक ही दिन सुबह-दोपहर-शाम मे दो-दो बूंदसीधे जीभ पर डाल दीजिए|सिर्फ एक ही दिन मे तीन बार ले लीजिए फिर भविष्यमे कभी भी स्टोन नहीं बनेगा..
-विमलेश निगम
Sunday, April 7, 2013
Friday, March 1, 2013
"प्यारे पौधे"
एक बीज था गया बहुत ही गहराई में बोया
उसी बीज के अंतर में था नन्हा पौधा सोया
उस पौधे को मंद पवन ने आकर पास जगाया
नन्ही नन्ही बूंदों ने फिर उस पर जल बरसाया
सूरज बोला "प्यारे पौधे", निद्रा दूर भगाओ
अलसाई आँखें खोलो तुम उठकर बहार आओ
आँख खोल कर नन्हे पौधे ने तब ली अंगड़ाई
एक अनोखी नयी शक्ति सी उसके मन में आई
नींद छोड़ आलस्य त्याग कर पौधा बाहर आया
बहार का संसार बड़ा ही अद्भुत उसने पाया...
Friday, February 22, 2013
Thursday, February 21, 2013
पहले साँपो दोस्तो सबसे के बारे मे एक महत्वपूर्ण बात आप ये जान लीजिये !
कि अपने देश भारत मे 550 किस्म के साँप है ! जैसे एक cobra है ,viper है
,karit है ! ऐसी 550 किस्म की साँपो की जातियाँ हैं ! इनमे से मुश्किल से
10 साँप है जो जहरीले है सिर्फ 10 ! बाकी सब non poisonous है! इसका मतलब
ये हुआ 540 साँप ऐसे है जिनके काटने से आपको कुछ नहीं होगा !! बिलकुल
चिंता मत करिए !
लेकिन साँप के काटने का डर इतना है (हाय साँप ने काट लिया ) और कि कई बार
आदमी heart attack से मर जाता है !जहर से नहीं मरता cardiac arrest से मर
जाता है ! तो डर इतना है मन मे ! तो ये डर निकलना चाहिए !
वो डर कैसे निकलेगा ????
जब आपको ये पता होगा कि 550 तरह के साँप है उनमे से सिर्फ 10 साँप जहरीले
हैं ! जिनके काटने से कोई मरता है ! इनमे से जो सबसे जहरीला साँप है उसका
नाम है !
russell viper ! उसके बाद है karit इसके बाद है viper और एक है cobra !
king cobra जिसको आप कहते है काला नाग !! ये 4 तो बहुत ही खतरनाक और
जहरीले है इनमे से किसी ने काट लिया तो 99 % chances है कि death होगी !
लेकिन अगर आप थोड़ी होशियारी दिखाये तो आप रोगी को बचा सकते हैं
होशियारी क्या दिखनी है ???
आपने देखा होगा साँप जब भी काटता है तो उसके दो दाँत है जिनमे जहर है जो
शरीर के मास के अंदर घुस जाते हैं ! और खून मे वो अपना जहर छोड़ देता है
! तो फिर ये जहर ऊपर की तरफ जाता है ! मान लीजिये हाथ पर साँप ने काट
लिया तो फिर जहर दिल की तरफ जाएगा उसके बाद पूरे शरीर मे पहुंचेगा ! ऐसे
ही अगर पैर पर काट लिया तो फिर ऊपर की और heart तक जाएगा और फिर पूरे
शरीर मे पहुंचेगा ! कहीं भी काटेगा तो दिल तक जाएगा ! और पूरे मे खून मे
पूरे शरीर मे उसे पहुँचने मे 3 घंटे लगेंगे !
मतलब ये है कि रोगी 3 घंटे तक तो नहीं ही मरेगा ! जब पूरे दिमाग के एक एक
हिस्से मे बाकी सब जगह पर जहर पहुँच जाएगा तभी उसकी death होगी otherwise
नहीं होगी ! तो 3 घंटे का time है रोगी को बचाने का और उस तीन घंटे मे
अगर आप कुछ कर ले तो बहुत अच्छा है !
क्या कर सकते हैं ?? ???
घर मे कोई पुराना इंजेक्शन (injection) हो तो उसे ले और आगे जहां
सुई(needle) लगी होती है वहाँ से काटे ! सुई(needle) जिस पलास्टिक मे फिट
होती है उस प्लास्टिक वाले हिस्से को काटे !! जैसे ही आप सुई के पीछे लगे
पलास्टिक वाले हिस्से को काटेंगे तो वो injection एक सक्षम पाईप की तरह
हो जाएगा ! बिलकुल वैसा ही जैसा होली के दिनो मे बच्चो की पिचकारी होती
है !
उसके बाद आप रोगी के शरीर पर जहां साँप ने काटा है वो निशान ढूँढे !
बिलकुल आसानी से मिल जाएगा क्यूंकि जहां साँप काटता है वहाँ कुछ सूजन आ
जाती है और दो निशान जिन पर हल्का खून लगा होता है आपको मिल जाएँगे ! अब
आपको वो injection( जिसका सुई वाला हिस्सा आपने काट दिया है) लेना है और
उन दो निशान मे से पहले एक निशान पर रख कर उसको खीचना है ! जैसी आप निशान
पर injection रखेंगे वो निशान पर चिपक जाएगा तो उसमे vacuum crate हो
जाएगा ! और आप खींचेगे तो खून उस injection मे भर जाएगा ! बिलकुल वैसे ही
जैसे बच्चे पिचकारी से पानी भरते हैं ! तो आप इंजेक्शन से खींचते रहिए
!और आप first time निकलेंगे तो देखेंगे कि उस खून का रंग हल्का blackish
होगा या dark होगा तो समझ लीजिये उसमे जहर मिक्स हो गया है !
तो जब तक वो dark और blackish रंग blood निकलता रहे आप खिंचीये ! तो वो
सारा निकल आएगा ! क्यूंकि साँप जो काटता है उसमे जहर ज्यादा नहीं होता है
0.5 मिलीग्राम के आस पास होता है क्यूंकि इससे ज्यादा उसके दाँतो मे रह
ही नहीं सकता ! तो 0.5 ,0.6 मिलीग्राम है दो तीन बार मे आपने खीच लिया तो
बाहर आ जाएगा ! और जैसे ही बाहर आएगा आप देखेंगे कि रोगी मे कुछ बदलाव आ
रहा है थोड़ी consciousness (चेतना) आ जाएगी ! साँप काटने से व्यकित
unconsciousness हो जाता है या semi consciousness हो जाता है और जहर को
बाहर खींचने से चेतना आ जाती है ! consciousness आ गई तो वो मरेगा नहीं !
तो ये आप उसके लिए first aid (प्राथमिक सहायता) कर सकते हैं !
इसी injection को आप बीच से कट कर दीजिये बिलकुल बीच कट कर दीजिये 50%
इधर 50% उधर ! तो आगे का जो छेद है उसका आकार और बढ़ जाएगा और खून और
जल्दी से उसमे भरेगा !
तो ये आप रोगी के लिए first aid (प्राथमिक सहायता) के लिए ये कर सकते हैं !
__________________________ __
दूसरा एक medicine आप चाहें तो हमेशा अपने घर मे रख सकते हैं बहुत सस्ती
है homeopathy मे आती है ! उसका नाम है NAJA (N A J A ) ! homeopathy
medicine है किसी भी homeopathy shop मे आपको मिल जाएगी ! और इसकी
potency है 200 ! आप दुकान पर जाकर कहें NAJA 200 देदो ! तो दुकानदार
आपको दे देगा ! ये 5 मिलीलीटर आप घर मे खरीद कर रख लीजिएगा 100 लोगो की
जान इससे बच जाएगी ! और इसकी कीमत सिर्फ पाँच रुपए है ! इसकी बोतल भी आती
है 100 मिलीग्राम की 70 से 80 रुपए की उससे आप कम से कम 10000 लोगो की
जान बचा सकते हैं जिनको साँप ने काटा है !
और ये जो medicine है NAJA ये दुनिया के सबसे खतरनाक साँप का ही poison
है जिसको कहते है क्रैक ! इस साँप का poison दुनिया मे सबसे खराब माना
जाता है ! इसके बारे मे कहते है अगर इसने किसी को काटा तो उसे भगवान ही
बचा सकता है ! medicine भी वहाँ काम नहीं करती उसी का ये poison है लेकिन
delusion form मे है तो घबराने की कोई बात नहीं ! आयुर्वेद का सिद्धांत
आप जानते है लोहा लोहे को काटता है तो जब जहर चला जाता है शरीर के अंदर
तो दूसरे साँप का जहर ही काम आता है !
तो ये NAJA 200 आप घर मे रख लीजिये !अब देनी कैसे है रोगी को वो आप जान लीजिये !
1 बूंद उसकी जीभ पर रखे और 10 मिनट बाद फिर 1 बूंद रखे और फिर 10 मिनट
बाद 1 बूंद रखे !! 3 बार डाल के छोड़ दीजिये !बस इतना काफी है !
और राजीव भाई video मे बताते है कि ये दवा रोगी की जिंदगी को हमेशा हमेशा
के लिए बचा लेगी ! और साँप काटने के एलोपेथी मे जो injection है वो आम
अस्तप्तालों मे नहीं मिल पाते ! डाक्टर आपको कहेगा इस अस्तपाताल मे ले
जाओ उसमे ले जाओ आदि आदि !!
और जो ये एलोपेथी वालो के पास injection है इसकी कीमत 10 से 15 हजार रुपए
है ! और अगर मिल जाएँ तो डाक्टर एक साथ 8 से -10 injection ठोक देता है !
कभी कभी 15 तक ठोक देता है मतलब लाख-डेड लाख तो आपका एक बार मे साफ !! और
यहाँ सिर्फ 10 रुपए की medicine से आप उसकी जान बचा सकते हैं !
और राजीव भाई इस video मे बताते है कि injection जितना effective है मैं
इस दवा(NAJA) की गारंटी लेता हूँ ये दवा एलोपेथी के injection से 100
गुना (times) ज्यादा effective है !
_____________
तो ये जानकारी आप हमेशा याद रखे पता नहीं कब काम आ जाए हो सकता है आपके
ही जीवन मे काम आ जाए ! या पड़ोसी के जीवन मे या किसी रिश्तेदार के काम आ
जाए! तो first aid के लिए injection की सुई काटने वाला तरीका और ये NAJA
200 hoeopathy दवा ! 10 - 10 मिनट बाद 1 - 1 बूंद तीन बार
रोगी की जान बचा सकती है !!
आपने पूरी post पढ़ी बहुत बहुत धन्यवाद !!
***** पीपल *****
- यह 24 घंटे ऑक्सीजन देता है .
- इसके पत्तों से जो दूध निकलता है उसे आँख में लगाने से आँख का दर्द ठीक हो जाता है .
- पीपल की ताज़ी डंडी दातून के लिए बहुत अच्छी है .
- पीपल के ताज़े पत्तों का रस नाक में टपकाने से नकसीर में आराम मिलता है .
- हाथ -पाँव फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध लगाए .
- पीपल की छाल को घिसकर लगाने से फोड़े फुंसी और घाव और जलने से हुए घाव भी ठीक हो जाते है .
- सांप काटने पर अगर चिकित्सक उपलब्ध ना हो तो पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच ३-४ बार पिलायें .विष का प्रभाव कम होगा .
- इसके फलों का चूर्ण लेने से बांझपन दूर होता है और पौरुष में वृद्धि होती है .
- पीलिया होने पर इसके ३-४ नए पत्तों के रस का मिश्री मिलाकर शरबत पिलायें .३-५ दिन तक दिन में दो बार दे .
- कुक्कुर खांसी में छाल का 40 मी ली. काढा दिन में तीन बार पिलाने से लाभ होता है .
- इसके पके फलों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन करने से हकलाहट दूर होती है और वाणी में सुधार होता है .
- इसके फलों का चूर्ण और छाल सम भाग में लेने से दमा में लाभ होता है .
- इसके फल और पत्तों का रस मृदु विरेचक है और बद्धकोष्ठता को दूर करता है .
- यह रक्त पित्त नाशक , रक्त शोधक , सुजन मिटाने वाला ,शीतल और रंग निखारने वाला है .
via- go green save earth
एक अध्ययन में पता चला है कि उच्चरक्तचाप से पीडि़त
व्यक्ति के धुम्रपान करने पर नपुंसक होने का खतरा 27
प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यहां तक कि धुम्रपान छोड़ चुके
ऐसे पुरुषों के धुम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में नपुसंक होने
की संभावना 11 प्रतिशत अधिक होती है।
♥ हम आपको बताते है कि किस तरह धूम्रपान करके लोग अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं... ♥
♥ त्वचा पर प्रभाव : अगर आप आपनी त्वचा से प्यार करते है
तो धुम्रपान करने की आदत को छोड़ना ही आपके लिए
अच्छा है। दरअसल धुम्रपान में 4000 प्लस
रसायनों की मौजूदगी होती है जिसके कारण
हमारी त्वचा का रंग काला होता है और हमारी त्वचा पर
झुर्रियां दिखाई देने लगती है। ऐसा होने से हम अपनी उम्र से काफी अधिक बूढ़े दिखाई देने लगते है। धूम्रपान करने से
हमारी त्वचा में होने वाले रक्त प्रवाह में भी कमी होती है।
♥ फेफड़ों पर प्रभाव : फेफड़ों का कैंसर लगभग भारत में
महामारी का रूप ले चुका है। इसकी एक वजह है देश में धुम्रपान
करने वालों की काफी तेजी से बढ़ती संख्या। सिगरेट में मौजूद
जीव-विष रूपी पदार्थ हमारे फेफड़ों तक ऑक्सीजन को जाने
से रोकते है जिसके कारण हमें कफ और खांसी के साथ-साथ कई
तरह की श्वास संबंधी बीमारियां होती है। जो बाद में फेफड़ों के कैंसर के रूप में सामने आती है। फेफड़ों के कैंसर से
संबंधित 90 प्रतिशत मामलों में ये पाया गया है कि ये कैंसर
धुम्रपान के कारण ही होता है।
♥ दाँतों और मसूड़ों पर प्रभाव : अगर आप लम्बें समय से धुम्रपान
कर रहे है तो अब आप अपने दांतों और मसूड़ो की ठीक से देख-
रेख शुरू कर दिजिए। दरअसल धूम्रपान करने से दांत पीले होने
के साथ-साथ मुंह से बास और मसूड़ों के खराब होने
संबंधी बीमारियां पैदा होती है। एक सोध के अनुसार धुम्रपान
ना करने वालों के मुकाबले धुम्रपान करने वालों के दांत ज्यादा कमजोर होते है और उनके टूटने
की संभावना भी काफी अधिक होती है, साथ ही मसूड़ों में
जलन और सूजन संबंधी दिक्कतें भी पैदा होती है।
♥ आपके पेट पर प्रभाव : धुम्रपान का आपके पेट और पाचन तंत्र पर
भी काफी हानिकारक प्रभाव पड़ता है। अध्धयन के अनुसार
सिगरेट के धुम्रपान से पेट में कई तरह
की परेशानियों की उत्पति होती है, साथ ही घुम्रपान करने
वाले व्यक्ति के शरीर के घाव ठीक होने में
भी काफी ज्यादा समय लगता है। अध्धयन के अनुसार धुम्रपान ना करने वालों के मुकाबले धुम्रपान करने वालों को पेट का कैंसर
होने की संभावना ज्यादा होती है।
♥ आंखों पर प्रभाव : अगर आप अपनी आंखों से प्यार करते है
तो धुम्रपान से तौबा कर लिजिए क्योंकि इस बात के
पुख्ता सबूत पाए गए है कि धुम्रपान करने से
आंखों को काफी नुकसान पहुंचता है। दरअसल धुम्रपान करने से
आक्सीडेन्ट नामक एक रसायन की उत्पति होती है जिससे
आपकी देखने की शक्ति में कमी आती है। धुम्रपान के कारण मोतियाबिंद जैसी बीमारी होने
की भी काफी संभावना होती है।
♥ कार्डियो – संवहनी पर प्रभाव : धुम्रपान न करने
वालों की तुलना में धुम्रपान करने वाले लोगों में
कार्डिया संबंधी बीमारियां ज्यादा पाई जाती है, जैसे- सीने मे
दर्द और सांस लेने में परेशानी होना आदि। लम्बें समय से
धुम्रपान करने वाले लोगों को एक अजीब
सी बीमारी हो जाती है जिसमें धुम्रपान न करने वालों के अनुरूप दिमाग तक रक्त का काम प्रवाह पहुंचता है।
फिटनेस पर प्रभाव : अगर आप यह सोचते है कि धुम्रपान
सिर्फ आपकी त्वचा और शरीर के अंगों के कार्यप्रणाली पर
ही असर करता है तो आप गलत सोचते हैं। अमेरिकन हार्ट
एसोसिएशन के अनुसार धुम्रपान करवालों की व्यायाम करने
की क्षमता में भी कमी आती है। इसके अलावा धुम्रपान करने
वालों को जल्दी-जल्दी सांस लेने के साथ-साथ दिल के तेजी से धड़कने में भी परेशानी आती है जिसके कारण धुम्रपान करने
वाला व्यक्ति शारीरिक प्रशिक्षण लेनें में असमर्थ रहता है।
♥ आपकी उंगलियों पर प्रभाव : अगर आप अपने चेहरे के साथ-
साथ उंगलियों को भी सुंदर देखना चाहते है तो अब आप
धुम्रपान से तौबा कर लिजिए क्योंकि धुम्रपान करने से
आपकी उंगलियां उम्र से पहले ही बूढ़ी दिखाने लगती है।
आपकी उंगलियों की त्वचा पर झुर्रियों की भरमार
हो जाती है।
♥ अगर आप भी धुम्रपान की आदत से परेशान हैं तो अपनाएं ये
आसान उपाय.... ♥
♥ बीडी, सिगरेट, गुटका, जर्दे आदि का सेवन करने की आदत
हो तो इनका सेवन करना बंद कर दें और जब इनके सेवन
की इच्छा हो तो नींबू चुसें। कुछ बूंदे नींबु के रस की जीभ पर
डालकर स्वाद लें। इससे उसके सेवन की इच्छा तुरंत समाप्त
हो जाएगी। इस तरह जब-जब भी सेवन करने
की इच्छा हो तो नींबू का सेवन करें।
♥ सौंफ को घी में सुखाकर तवे पर सुखा लें और जब भी सिगरेट
पीने की इच्छा हो आधा-आधा चम्मच चबाते रहें। इससे धीरे-
धीरे आपके अन्दर धुम्रपान करने की इच्छा समाप्त हो जाएगी।
इसके आलावा यदि आप पहले बताये हुए उपाय को नहीं कर
सकते हैं तो आप 50 ग्राम अजवाइन और 50 ग्राम मोटी सौंफ
को घी में सेंककर डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो, इस मिश्रण को आधा चम्मच लेकर चबाएं।
इससे आपके अन्दरधुम्रपान करने की इच्छा समाप्त हो जाएगी|
— go green save earth
♥ अनेक रोग नाशक भी है पपीता ♥
♥ अनेक रोग नाशक भी है पपीता ♥
पपीता एक ऐसा मधुर फल है जो सस्ता एवं सर्वत्र सुलभ है। यह
फल प्राय: बारहों मास पाया जाता है। किन्तु फरवरी से मार्च
तथा मई से अक्तूबर के बीच का समय पपीते की ऋतु
मानी जाती है। कच्चे पपीते में विटामिन ‘ए’ तथा पके पपीते
में विटामिन ‘सी’ की मात्रा भरपूर पायी जाती है।
आयुर्वेद में पपीता (पपाया) को अनेक असाध्य रोगों को दूर
करने वाला बताया गया है। संग्रहणी, आमाजीर्ण, मन्दाग्नि,
पाण्डुरोग (पीलिया), प्लीहा वृध्दि, बन्ध्यत्व को दूर करने
वाला, हृदय के लिए उपयोगी, रक्त के जमाव में उपयोगी होने
के कारण पपीते का महत्व हमारे जीवन के लिए बहुत अधिक
हो जाता है।
पपीते के सेवन से चेहरे पर झुर्रियां पड़ना, बालों का झड़ना,
कब्ज, पेट के कीड़े, वीर्यक्षय, स्कर्वी रोग, बवासीर, चर्मरोग,
उच्च रक्तचाप, अनियमित मासिक धर्म आदि अनेक
बीमारियां दूर हो जाती है। पपीते में कैल्शियम, फास्फोरस,
लौह तत्व, विटामिन- ए, बी, सी, डी प्रोटीन, कार्बोज,
खनिज आदि अनेक तत्व एक साथ हो जाते हैं। पपीते का बीमारी के अनुसार प्रयोग निम्नानुसार किया जा सकता है।
१) पपीते में ‘कारपेन या कार्पेइन’ नामक एक क्षारीय तत्व
होता है जो रक्त चाप को नियंत्रित करता है। इसी कारण
उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) के रोगी को एक
पपीता (कच्चा) नियमित रूप से खाते रहना चाहिए।
२) बवासीर एक अत्यंत ही कष्टदायक रोग है चाहे वह
खूनी बवासीर हो या बादी (सूखा) बवासीर। बवासीर के
रोगियों को प्रतिदिन एक पका पपीता खाते
रहना चाहिए। बवासीर के मस्सों पर कच्चे पपीते के दूध को लगाते रहने से काफी फायदा होता है।
३) पपीता यकृत तथा लिवर को पुष्ट करके उसे बल प्रदान
करता है। पीलिया रोग में जबकि यकृत अत्यन्त कमजोर
हो जाता है, पपीते का सेवन बहुत लाभदायक होता है।
पीलिया के रोगी को प्रतिदिन एक पका पपीता अवश्य
खाना चाहिए। इससे तिल्ली को भी लाभ पहुंचाया है तथा पाचन शक्ति भी सुधरती है।
४) महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म एक आम
शिकायत होती है। समय से पहले या समय के बाद मासिक
आना, अधिक या कम स्राव का आना, दर्द के साथ मासिक
का आना आदि से पीड़ित महिलाओं को ढाई सौ ग्राम
पका पपीता प्रतिदिन कम से कम एक माह तक अवश्य
ही सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
५) जिन प्रसूता को दूध कम बनता हो, उन्हें प्रतिदिन
कच्चे पपीते का सेवन करना चाहिए। सब्जी के रूप में भी इसका सेवन किया जा सकता है।
६) सौंदर्य वृध्दि के लिए भी पपीते का इस्तेमाल
किया जाता है। पपीते को चेहरे पर रगड़ने से चेहरे पर व्याप्त
कील मुंहासे, कालिमा व मैल दूर हो जाते हैं तथा एक
नया निखार आ जाता है। इसके लगाने से त्वचा कोमल व
लावण्ययुक्त हो जाती है। इसके लिए हमेशा पके पपीते का ही प्रयोग करना चाहिए।
७) कब्ज सौ रोगों की जड़ है। अधिकांश लोगों को कब्ज
होने की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे
रात्रि भोजन के बाद पपीते का सेवन नियमित रूप से करते
रहें। इससे सुबह दस्त साफ होता है तथा कब्ज दूर हो जाता है।
८) समय से पूर्व चेहरे पर झुर्रियां आना बुढ़ापे की निशानी है।
अच्छे पके हुए पपीते के गूदे को उबटन की तरह चेहरे पर लगायें।
आधा घंटा लगा रहने दें। जब वह सूख जाये तो गुनगुने पानी से
चेहरा धो लें तथा मूंगफली के तेल से हल्के हाथ से चेहरे पर
मालिश करें। ऐसा कम से कम एक माह तक नियमित करें।
९) नए जूते-चप्पल पहनने पर उसकी रगड़ लगने से पैरों में छाले
हो जाते हैं। यदि इन पर कच्चे पपीते का रस लगाया जाए तो वे शीघ्र ठीक हो जाते हैं।
१०) पपीता वीर्यवर्ध्दक भी है। जिन पुरुषों को वीर्य कम
बनता है और वीर्य में शुक्राणु भी कम हों, उन्हें नियमित रूप से पपीते का सेवन करना चाहिए।
११) हृदय रोगियों के लिए भी पपीता काफी लाभदायक
होता है। अगर वे पपीते के पत्तों का काढ़ा बनाकर नियमित
रूप से एक कप की मात्रा में रोज पीते हैं तो अतिशय लाभ होता है
via-GO GREEN SAVE EARTH
एक आदमी एक दिन में इतना ऑक्सीजन लेता है जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं | एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700 इस तरह हम देखते हैं कि एक आदमी एक दिन में रु.2100 (700X3) की ऑक्सीजन लेता है और 1साल में रु.766500 कि और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु. 5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़- पौधों द्वारा हमे फ्री में मिलती है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे है | SPREAD THIS MESSAGE AS MUCH AS YOU CAN. SAVE TREES ! SAVE FUTURE !
एक आदमी एक दिन में इतना ऑक्सीजन लेता है जितने में 3 ऑक्सीजन के सिलेंडर भरे जा सकते हैं | एक ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत होती है रु.700
इस तरह हम देखते हैं कि एक आदमी एक दिन में रु.2100 (700X3) की ऑक्सीजन लेता है
और 1साल में रु.766500 कि
और अपने पूरे जीवन (अगर आदमी कि उम्र 65 साल हो) में लगभग रु. 5 करोड़ का ऑक्सीजन लेता है जो कि पेड़- पौधों द्वारा हमे फ्री में मिलती है और हम उन्ही पेड़ पौधों को समाप्त कर रहे है
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